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British Cycling Team Success Story in Hindi – 1% Improvement Led To Olympic?

British Cycling Team Success Story in Hindi
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आज की आर्टिकल में एक ऐसी success story को जानेगें जो एक सदी से हारका मुह देख रहा था और सिर्फ छोटे छोटे बदलाव से, वो team champion बन गया जिसने आगे जाकर कई records तोड़े और कई नए records बनाये | तो चलिए जानते हैं आज की Success Story in Hindi में British Cycling Team की कहानी |

2003 में जब डेव ब्रेसफोर्ड British Cycling Team के performance director बने उसके बाद से उस टीम की किस्मत बदल गयी | उससे पहले British Cycling Team का बहोत ही बुरा समय चल रहा था | और ये बुरा समय कुछ महीने या साल से नहीं बलकी 110 बरसो से चल रहा था | 1908 से लेकर 2003 के दसक तक टीम ने ऑलंपिक में बस एक मेडल जीता था |

टूर दी फ्रांस जिसे दुनीया का सबसे बड़ी रेस माना जाता है उसमे और बाकि सब रेस में ब्रिटिश टीम बहोत पीछे थी | ईसी वजह से यूरोप की एक साइकेल कंपनी उन्हें साइकेल देने से मना कर दिया | वो ये नहीं चाहते थे की लोगों को पता चले की ब्रिटिश टीम उनकी साइकेल इस्तेमाल कर रही है | जिससे फिर उनका reputation खराफ हो जाए |

टीम की इतनी बूरी performance देख कर ब्रिटिश टीम में, एक नये डायरेक्टर को लिया गया जिनका नाम था डेव ब्रेसफोर्ड | 

डेव के काम करने की रणनीति बाकि coaches से अलग थी | उनका एक कड़ी रणनीति थी जिसे वो “The Aggregation Of Marginal Gains” कहते हैं | मतलब ‘छोटे छोटे जीत या फायदे का संग्रह’ | डेव की ये रणनीति कहती है की साइकेल चलाने के लिए जो भी प्रयास किआ जा रहा है उसे टुकड़ों में बाँट कर उसको देखेंगे और उनमें 1% सुधार भी करेंगे | बाद में जब सारे बदलाव मिलाकर देखेंगे तो आपको काफी बडे परिणाम देखने को मिलेगें |

डेव और उनकी बाकि के कोचों ने मामूली बदलाव से सुरुआत की | उन्होंने साइकिल के सिट को फिर से डिजाईन करवाया ताकि ये अधिक सुबिधा जनक हो सके | टायर्स पे आल्कोहल रगड़ दीया ताकि वो अच्छी पकड़ से चल सके | खिलाडियों के लिए हलके और एयरोडायनामिक जर्सी बनवाए |

पर वो इतने में नहीं रुके, डेव और उनकी टीम उन चीजों पर भी 1% सुधार लाये जो ज्यादा तर अनधेखी और अनपेक्षित होती हैं | खिलाडियों के लिए अच्छे और आराम दायक गद्दे और तकिये बनवाए, जिससे वो अच्छी नींद ले सके | उन्होंने कई तरह के मसाज लोशन का प्रयोग करके देखा की कोनसी तेज़ी से मसल को ठीक करता है | 

एक सर्जन को रखा जो खिलाडियों को हाथ धोने का सही तरीका बता सके ताकि वो ठण्ड के चपेट से बच सकें | और तो और टीम का ट्रक भीतर से सफ़ेद रंग से पेंट कर दीया | ताकि धुल के मामूली कणों को भी देखा जा सके जो पहले नज़र नहीं आते थे | जबकि उसकी वजह अच्छे से तैयार की हुयी साइकिल की गति भी खराफ हो सकती थी |

इस तरह के सेकड़ों सुधार किये गए जिसका परिणाम इतनी तेज़ी से आया की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था | 2008 में हुए ओलिंपिक में कुल मेडल में से 60% मेडल ब्रिटिश टीम ने जीते | 4 साल बाद लन्दन में हुए ओलोम्पिक में, उनकी टीम ने 9 ओलोम्पिक और 7 वर्ल्ड रेकॉर्ड कायम किये | 6 बर्ष में ब्रिटिश टीम 5 मर्तवा टूर दी फ्रांस में जीत दर्ज की |

ब्रिटेन के साइकलिस्ट टीम ने 2007 से 2017 दशक के दौरान 178 विश्व चेमपियोनशिप और 66 ओल्यम्पिक स्वर्ण पदक जीत चुके थे | और 5 मर्तवा टूर दी फ्रांस में जीत दर्ज की | ये साइकलिंग के इतिहास में सबसे ज्यादा सफल दौर माना जाता है | 

ये सब हुआ कैसे ? कैसे एक सदी से पिछड रही टीम विश्व चेम्पीयन बन गई ? क्या कोई बड़ी बदलाव लाया गया ? नहीं बलकी सिर्फ 1% सुधार जादू कर गया | डेव ने खिलाडियों के साइकिल चलाने से जुडी हर चीज में 1% सुधार लाये | हर छोटी छोटी चीजों में चाहे वो आँखों के ऑयड्रोप हो या साइकिल के टायर | हर चीज पे ध्यान दीया और सुधार लाया | जिसका परिणाम पूरी विश्व को चौंका कर रख दीया |

1% Improvement कैसे काम करता है ? The Aggregation Of Marginal Gains क्या है ?

The Aggregation Of Marginal Gains क्या है और ये कैसे काम करता है ? ये सवाल जरुर आपके मन में चल रहा होगा | सच बात तो ये है की हम हमेसा सुनते आयें हैं की, अगर कुछ बड़ा हासिल करना है तो बड़े बदलाव लाना होगा | बड़े फैसले लेने होंगे तभी कुछ बड़ा कर पाओगे नहीं तो नहीं | इसीलिए लोग नए साल के सुरुआत में बड़े रीजोलुसन लेते हैं | पर एक दो महीनो में हार मान कर पुराने रूटीन में वापस आ जातें हैं |

मगर 1% Improvement असल में काम करता है | इसका मतलब है, छोटे छोटे बदलाव लाना यानि हर दिन 1% बेहतर होना | ताकि कुछ समय बाद जब हम सबको जोड़े तो ये एक बड़ा परिणाम बनकर सामने आये | छोटे सुधार लम्बे समय में असाधारण अंतर दिखा सकते हैं |

अगर आप रोजाना एक फीसदी(1%) भी पहले से बेहतर होते हैं, तो पुरे एक साल में 37 गुना बेहतर बन सकते हैं | इसके उलट अगर आप एक साल तक हर दिन एक फीसदी(1%) बदतर होते जाते हो | तब आप जीरो के करीब हो जाओगे | भले सुरुआत छोटी जीत से हो या छोटी हार से ये कुछ समय बाद एक जुट हो कर कई गुना हो जाती है |

भले ही ये 1% सुधार आपको मामूली लगे, पर कई महीनो और साल में इसके परिणाम जबरदस्त होतें हैं |

इस काहानी से क्या शीक्षा मिलती है ?

  • कोई भी मकसद को पूरा करने के लिए कोई बड़े फैसले की जरुरत नहीं | नाहीं खुद पर इतना दवाब डालने की जरुरत है की आप रातो रात बदल जाएँ |
  • जरुरी ये है की जो भी आपका लक्ष्य है उसके हर क्षेत्र को छोटे छोटे हिस्सों में बाँट दें | और देखे की क्या छोटे बदलाव और बेहतर करने की जरुरत है | और उसे करने में लग जाएँ |
  • छोटे बदलाव समय के साथ compound interest की तरह काम करती है | नज़र ना आने वाले छोटे बदलाव कुछ समय पश्चात कल्पना से भी बढ़कर परिणाम देती है |
  • असल में छोटे छोटे बदलाव सुरु में नज़र नहीं आते | अगर आपको next level पर जाना है मतलब grow करना है तो धेर्य रख कर छोटे छोटे improvement में टिके रहना होगा | क्योंकि हर चीज एक thresh hold level के बाद काम करती है | जैसे पानी गरम होते ही तुरंत भांप नहीं बनती | temperature बढ़ता रहता है और पानी गरम होता रहता है | जब 100°C पर पहोंचता है तब भांप बनना सुरु होता है | वैसे ही हर परिणाम thresh hold level के पार जाने से मिलती है |
  • खुदमें उन तरीकों से बेहतर बनाने में लगाये, जो आपको आपकी goal की तरफ ले जायेगी | जैसे आपको कोई exam clear करना है, तो आप अपनी पढाई, focus और consistency को improve करने में लगाये रखें | Result खुद ब खुद अच्छा हो जाएगा |

Conclusion सारांस

आशा है आपको ये कहानी पसंद आई होगी और आपको कुछ सिखने मिला होगा | पूरी कहानी पढने के लिए धन्यबाद !

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