Short Story Of Thomas Edison in Hindi
paresani ka samna kaise karen ?
kyon itni muskile aati hen?
mein asafal kyon ho jata hun ?
ऐसे कई सारे सवाल मन में आतें हैं | जब हम किसी मुस्किल घडी में होतें हैं | बार बार हार का सामना करते हैं | जिससे फिर हमारी हिम्मत टूटने लगती है |
ऐसा नहीं है की सिर्फ आपको बहोत तकलीफे झेलनि पड़ रही है | ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने अपने सपनो को कई बार टूटते देखा है | सफलता को खो दीया है | पर वो हार से भी शीखे और फिर से कामयाबी की हासिल कर लिए हैं |
उन्ही में से एक हैं, महान साइंटिस्ट थॉमस एडिशन जो कई बार हार का सामना करे थे| पर वो कभी घबराए नहीं थे या हार माने थे | हारके बाद भी वो बार बार प्रयाश करते रहे और सफल बने | वैसे तो उनका पूरा जीवन ही प्रेरणादायक है | पर आज की इस आर्टिकल में उन्हीं के जीवन में से एक घटना को बता रहे हैं जो घटी थी जब वो 67 साल के थे |
67 उम्र में ज्यादा तर लोग रिटायरमेंट की सोचतें हैं | मगर इसी उमर में एडिशन के साथ हुआ था एक बड़ा हादसा और उसी वजह से उन्हें एक नयी सुरुआत करनी पड़ी थी |क्या था वो हादसा और वो उसका सामना कैसे करें?
कैसे सब कुछ खो कर भी दुबारा से नयी सुरुआत वो करें थे ? हम इससे क्या शिख सकते हैं ? इस कहानी के माध्यम से चलिए जानतें हैं !
कहानी :
थॉमस एडिशन जब 67 साल के थे तब एक दिन उनके फैक्ट्री में आग लग गयी | कुछ केमिकल रिएक्शन की वजह से आग लगी थी | और आग इतनी भयंकर थी की कई फायर ब्रिगेड इसे मिल कर भी बुझा नहीं पा रहे थे | बहोत देर तक एडिशन परेसान होते रहे | फिर वो रुक गए और आग की तरफ देखने लगे |
फैक्ट्री की भयंकर आग बुझ नहीं रही थी और सबकुछ सामने जलकर राख हो रही थी | कई तरह की रंग बिरंगी आग में एडिसन की सालों की मेहनत जल रही थी | सारी कोशिशों के बाद वो रुक गए और थोड़ी देर बाद अपने 24 साल के बेटे से कहा जाओ अपनी मम्मी को बुला लाओ | ऐसी रंग बिरंगी आग देखने के लिए उन्हें कहो, फिर सायद ही कभी ऐसा मौका मिले|
अपने पिता की ऐसी बात सुन कर वो चौंक गया | क्योंकि सालो की मेहनत, सफलता आँखों के आगे जल कर खाक हो रही थी | और वो इस समय पे, ऐसा कैसे बोल सकते थे | उनके बेटे को लगा एडिसन सदमे के कारण ऐसा बोल रहे हैं |तब वो अपने पिता को हिम्मत देने लगा |
इस बात पर एडिशन ने कहा बेटा जो हम कर सकते थे वो हम कर ही रहे हैं | और ऐसे भी इस फैक्ट्री में ऐसे कई चीजें थी जो मुझे पसंद नहीं थी | कुछ गलतियां थी जिसे में ठीक करना चाहता था | और आज इस आग के साथ वो गलतियां भी जल जाएँगी | हम इससे बेहतर, एक नयी सुरुआत करेंगें | और फिर से सफलता को पा लेंगे | ये बात सुन कर एडिशन के बेटे चार्ल्स के चेहरे पे भी मुस्कान आ गयी |
दुसरे दिन प्रेस कॉनफरेंस में एडिशन ने कहा, ये सच है मेरी सारी मेहनत जल कर खाक हो गयी है | और में अभी 67 साल का हो चूका हूँ | पर कल एक नयी सुरुआत होगी | कल में एक बेहतर सुरुआत करके सबकुछ अच्छा करने में लग जाऊंगा | और बेहतर कर ही दूंगा | जिसके दुसरे दिन से ही उन्होंने अपनी बात मानी और नयी सुरुआत की | और कुछ समय में वो सब कुछ हासिल कर ही लिए |
Moral Of The Story(कहानी से क्या शिख मिली?)
हम इंसानों में एक ऐसी Belief System बैठी है की, हमारे साथ हमेसा अच्छा ही होगा | हमे कोई दिक्कत या परेसानी नहीं मिलनी चाहिए | इसलिए जब भी कोई बड़ी परेसानी आती है | तो हम नकारत्म हो जाते हैं | और सवाल करने लगते हैं की ऐसा मेरे साथ क्यों हुआ ?
मेरी तो किस्मत ही खराफ है | अगर हम ये उम्मीद ही रखना छोड़ दें की हमारे साथ हमेसा अच्छा ही होगा | और जो हो गया है उसे स्वीकार कर लें | तो बिपत्ति के समय में भी हमारी सोच सकारात्मक हो जायेगी |
तब हम सही सवाल भी पूछने लगेगें, की चलो यहाँ से अब क्या किआ जा सकता है ?
जब हम किसी चीज को स्वीकार कर लेते हैं | तब हम किश्मत या किसी और से सिकायत नहीं करते | की ये हादसा तुम्हारे कारण हुआ है |
बलकी ये कहते हैं जब तुम आ ही गए हो तो ये बताओ की तुम अपने साथ क्या सम्भावनायें और शीख लेके आये हो ? तुम्हारे साथ हमे किस प्रकार के नए अनुभब मिलेंगें ?
और इसे स्वीकार कर लेने से उस स्तिथि में हमे अपने नकारत्मक विचारों से निपटना नहीं पड़ता | जो ज्यादातर बुरे स्तिथि में आती हैं | हमारा पूरा ध्यान और एनर्जी हम वहां लगातें हैं, जहाँ उसकी जरुरत होती है | उस स्तिथि को संभाल ने और बेहतर बनाने के तरफ हम जुट जातें हैं |
कई रिसर्च से ये पायी गयी है की जैसे हमारी भाव होते हैं, वैसे ही भावनाएं हम महसूस करते हैं | वैसे ही हम सोचतें और उसीके हिसाब से कदम उठाते हैं | और उसी तरह के परिणाम हमे मिलते हैं |
Emotions => Feelings => Thoughts => Actions == Results
ध्यान देने वाली बात ये है की हम जो कुछ भी करते हैं | चाहे किसी भी तरह की सफलता या लक्ष्य की तरफ बढ़ते हैं, उसमे कई सारी परेसानियाँ और दिक्कतें आयेंगीं ही | पर ये परेसानियाँ बुरी नहीं होती | ये हमे, हमारा better version बन्ने में मदद करती है |
बस उस स्तिथि के प्रति हमे हमारा नजरिया बदलने की जरुरत है | या तो हम परेसान हो सकते हैं या तो फिर शिख ले सकते हैं |
जब हम कुछ साल पीछे की जिंदगी के बारे में सोचते हैं | और उसमे मिली हार और नाकामयाबी के बारे में सोचते हैं | तो उसी से हमे चलता है: वही सब हमे आगे की जिंदगी में एक बेहतर, समझदार और मज़बूत इंसान बन्ने में मदद की होती है |
हर सफल लोग अपने सफलता के रास्ते में बड़े नुक्सान को झेले ही हैं | क्योंकि ये बात सच है बड़े काम करने के रास्ते में बड़े नुक्सान भी आते हैं | जब आग तेजी से जलती है और उसमे कुछ फेंका जाए | तो आग उसे भी जला कर और तेजी से जलने लगती है |
“कहावत है की सोना भी तप कर कुंदन बनता है !” यानी चाहे कुछ भी होता रहे, कुछ भी परेसानी आये | इससे हमारा attitude और भी बेहतर होता रहेगा |
आशा है आपको ये आर्टिकल अच्छी लगी होगी और अपने असफलता का सामना करने के लिए हिम्मत मिली होगी |
आपका दिन शुभ धन्यवाद ! Good Luck!