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मैनेजिंग ओनसेल्फ़ Managing Oneself Summary in Hindi – Peter F Drucker

managing oneself book summary
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हम सब पर कितनी जिम्मेदारियां है और हमे कितना कुछ मैनेज करना पड़ता है | जैसे की परिवार, घर, ऑफिस ये सब मैनेज करना पड़ता है | पर सब चीज को हम तभी अच्छे से मैनेज कर पायेंगें जब हम खुदको अच्छे से मैनेज करना जानते हो | खुदको मैनेज करना इसीलिए जरुरी है क्योंकी इसीसे हमारी स्किल निखरती है और हम सफल होतें हैं |

इतिहास में ऐसे कई सफल लोग हैं जो खुद को मैनेज करना जानते थे और यही उन अच्छे गुणों में से एक गुण था जो उन्हें कामयाब बनाया | और यही बात हमे पीटर ड्रकर की बुक Managing Onself सिखाती है | क्योंकि अगर आप खुद को मैनेज करना नहीं जानते तो आपके अंदर जितना भी अच्छा टैलेंट हो आप उसका सही इस्तेमाल कर नहीं पायेंगें |

खुदको मैनेज करें कैसे?

तो अब सवाल ये आता है की खुदको मैनेज करें कैसे? इसे ऑथर पीटर ड्रकर 5 मुख्य बातों से हमे समझातें हैं | ये 5 बातें हकीकत में 5 सवाल है जो हमे खुदसे पूछने चाहिए और इसका जवाब ही हमे खुदको मैनेज करना सिखाएगा | और यही 5 बातें Managing Oneself Book Summary से जानेगें |

पीटर ड्रकर Managing Oneself के लेखक हैं | उन्हें फादर ऑफ़ मॉडर्न मैनेजमेंट कहा जाता है | उनकी लिखी किताबें मैनेजमेंट स्टडी के किताबों में होना जरुरी है | तो आईये चलतें हैं उन 5 बातों की तरफ जो आपको खुदको मैनेज करना सिखाएगा |

1) पहला सवाल: मेरी ताकत या खूबी क्या हैं? What is My Strength?

अच्छा प्रदरसन के लिए खुदकी खूबी(Strength) को जानना जरुरी है | लोगों को लगता है वो अपनी खूबी जानते हैं | पर ज्यादा तर लोगों को अपनी खूबी तो छोडो अपनी कमी भी सही से पता नहीं होता | बहोत कम ही लोग ऐसे हैं जो अपनी खूबी को अच्छे से जानते हैं | इसीलिए खुदकी खूबी को पहचाने और उसे विकशित करें |

पेहले जमाने में लोगों को अपनी खूबी को जानने की जरुरी नहीं थी | वो वही काम करतें थें जो उनका पारिवारिक व्यवसाय था | मतलब किसान का बेटा किसान बनेगा, लोहार का बेटा लोहार बनेगा | चाहे वो उस काम में अच्छा हो या ना हो |

पर अभी के दौर में ऐसी कोई मान्यता नहीं है | कोई कुछ भी काम कर सकता है | इसीलिए अपनी strengh को जानना जरुरी है ताकि वो अपने काम में माहिर बन सके |

तो अपनी खूबी को जानने का सरल तरीका ऑथर बतातें हैं फीडबैक विशलेषण (Feedback Analyrsis) करना |

आप जो भी काम करने का फैसला लेते हैं तो उससे जुड़े परिणाम और आशंकायें को एक पेपर पे लिख लें | फिर 9 महीने या एक साल के बाद उसे विशलेषण करें, देखें की जो सोचे थे और जो सच में हुआ उसमे क्या क्या फर्क है | जिससे आप जान पायेंगें की आपने क्या हासिल किआ और कहाँ कमी रही |

सोचिये की आप एक बिज़नस सुरु करने जा रहे हो, तो आपने सारा सेटअप कर लिया | पर एक साल बाद आपको पता चला की आपकी सेल उतनी नहीं हुयी पर प्रोडक्ट बनाना और उसे सेटअप वाला काम अच्छे से हुआ है |

तो इससे पता चला आप सेल में कमजोर हो पर प्रोडक्ट सेटअप में माहिर हो | ऐसे ही विशलेषण से आप अपने ताकत के बारे में जान पाओगे की आप किस चीज में अच्छे हो उसे समझ सकोगे |

ऑथर केहते हैं हमे अपनी उर्जा अपनी खूबी को बढाने में लगा देनी चाहिए | पर हम स्कूल से और दुनीया से इसका उल्टा ही सीखे हैं, की हमे अपने कमी पे ज्यादा ध्यान देनी चाहिए |

अगर हम सिर्फ अपनी कमी को ठीक करने में लग जाएँ, तो हम सिर्फ एक एवरेज इंसान बन कर रह जायेंगें | पर जब हम अपनी खूबी पे ज्यादा काम करेंगें तो हम एक ग्रेट एचीवर बन पायेंगें |

इसका मतलब ये नहीं है की अपनी कमी को पूरी तरह से भूल जाएँ और सिर्फ अपनी खूबी पे ध्यान दें |  ज्यादा ध्यान और उर्जा अपनी strength को बढ़ने में लगाएं और कुछ ध्यान अपने कमी को ठीक करने में लगायें |

2) दूसरा सवाल: मैं कैसे प्रदर्शन करता हूँ? How Do i Perform?

जैसे हर इंसान की strength अलग होती वैसे ही इंसान का परफॉर्म करने का तरीका भी अलग होता है | कोई टीम के साथ मिल कर काम करने में अच्छा होता है तो कोई अकेले अच्छा काम करता है | कैसे आप परफॉर्म करते हैं, इसे कैसे जाने ?

तो आप देखिये की आप चीजों को सिखतें कैसे हैं | क्या आप चीजों को पढ़ कर सीखते हो या सुन कर ? आपने देखा होगा कुछ लोग बुक से पढ़ कर चीजों को समझ जातें हैं | पर कुछ लोग उसी टॉपिक को टीचर के पढाने से ही समझते हैं |

तो इस सवाल का जवाब ढूंढे की आप listener हो या reader या कोई और तरीके से चीजों को सीखते हो ?

क्या आप आप प्रेशर वाले माहोल में भी अच्छे से काम कर सकते हो या सुकून भरे माहोल में बिना किसी दवाब के काम बेहतर करते हो ? आपको लोगों के साथ मिल कर काम करना पसंद हे या अकेले काम करना पसंद है ?

कुछ लोग फैसला लेने में अच्छे होतें और कुछ लोग दूसरों को अच्छा सुझाव देने में अच्छे होतें हैं | कुछ लोगों को बिज़नस को संभालना आता है तो कुछ लोग पहले से सेटअप कंपनी में काम करना पसंद करते हैं |

तो आपको इन सवालों का जवाब पता होना चाहिए क्योकी इन सब बातों पे ही आपकी परफॉर्म करने का तरीका बढ़ेगा या घटेगा | उसे जाने और उसे बेहतर करें पर उसे बदल कर दूसरों की तरीकें को ना अपनाएं |

मान लीजिये की आप अधिक प्रेशर वाले जगह पे काम नहीं कर पाते तो आपको एक ऐसी काम ढूँढनी होगी जहाँ पहले से सब कुछ अच्छे से सेट हो | और आप शांति से अपना काम कर पाएं |

इसीलिए अपने तरीके को बदलने के वजाए अपने तरीके और बेहतर बनाने पे ध्यान दें तभी आप एक excellent performer बन पायेंगें |

3) तीसरा सवाल: मेरे मूल्य क्या हैं? What Are My Values?

मूल्य कहें या मान्यताएँ ये आपके काम से मैच करनी चाहिए | सोचिये की आप ऐसा काम कर रहें हैं जो आपके skill से मैच हो रही है पर आपकी value से मैच नहीं हो रही | तो आप उस काम को अच्छे से कर नहीं पायेंगे और आपकी performance बुरी होती जायेगी |

मान लीजिये की आप environment का बहोत ख्याल करते हो पर आप ऐसे company में काम कर रहे जो पर्याबरण को नुक्सान कर रहा है | तो आप अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाओगे | क्योंकि आपकी value आपके काम से अलाइन नहीं हो पा रही है जो फिर आपको अंदर से खोकली कर रही है |

इसीलिए ऑथर एक आसान सा टेस्ट बतातें हैं अपनी वैल्यू को अपने काम से मैच करने की, वो है मिरर टेस्ट | जो भी काम आप कर रहे हो उसे करने के बाद आप अपना चेहरा आराम से मिरर में देख सकते हो या नहीं ? अगर हाँ तो आपका काम और आपकी value मैच कर रही है | और अगर नहीं तो फिर आपको अपना काम बदलने की जरुरत है |

ऑथर कहते हैं हमे अपनी वैल्यू को ज्यादा अहमियत देनी चाहिए तभी हम ज्यादा अच्छा परफॉर्म कर पायेंगें |

4) मैं कहाँ का हूँ ? Where do I belong?

इन तीनो बातों को जानने के बाद आपको ये भी जानना जरुरी है की आपके लिए कोनसी जगह बनी है | मतलब ऐसा कोनसा माहोल और जगह जहाँ आप काम कर सकें और खुदको बेहतरीन बना सकें |

एक टेनिस प्लेयर जानता है की वो टेनिस वाले जगह और माहोल को बिलोंग करता है | एक व्यापारी को व्यापर वाले जगह और माहोल सही लगता है | वैसे ही आपको पता होना चाहिए आपका सही माहोल क्या है |

कम से कम इतना तो पता होना चाहिए की कोनसा माहोल आपके लिए सही नहीं है | सही माहोल पता ना होने से आप उस जगह में खुदको कम्फर्ट नहीं महसूस करेंगे | और खुदको सही से एक्सप्रेस नहीं कर पाओगे|

जिससे फिर आपको उस जगह पे रहना और काम करना एक बोझ की तरह लगेगा | इसलिए पता लगायें की आपकी बीलोंगिंग या माहोल क्या है?

5) What Should I Contribute? मेरा योगदान क्या होना चाहिए ?

पेहले के समय में लोग जिस काम से जुड़े होते थे उसे करने में ही जीवन गुजार देते थे | उन्हें दो वक़्त की रोटी कमाने और अपने परिवार को चलाने से ही फुरसत नहीं थी | पर अब वक़्त बदल चूका है | जैसे जैसे लोग modernization की तरह बढे, वैसे उनका ध्यान इस तरफ गया की वो अपनी सोसाइटी, अपने देश या दुनीया के लिए क्या योगदान दें |

कुछ लोग केह सकते हैं की उनका जीवन है उनकी मर्ज़ी वो जैसे चाहे जियें | उसे कोई कुछ बोलने वाला कोन होता है | पर ऐसी सोच ठीक नहीं | हम जहाँ हैं जिस जगह हैं, जिस देश या सोसाइटी में हैं, हमे भी कुछ योगदान देनी चाहिए |

तो आप खुदसे इस तरह पुछ सकते हो की आप जिस काम में हो, अपनी ताकत, अपनी स्किल और मेहनत से क्या योगदान दे सकते हो | जिससे कुछ अच्छा हो और दूसरों का फायदा हो | 

इसके लिए आपको बहोत दूर तक की सोचने की जरुरत नहीं है | सुरुआत में 18 महिना यानी short term plan बनाएं और छोटे छोटे steps में पूरा करने में लग जाएँ | plan ऐसी होनी चाहिए जिसे पूरी की जा सकती हो और clear हो |

सारंस Conclusion

ये 5 सवाल

  1. मेरी ताकत क्या है ?
  2. मे कैसे परफॉर्म करता हूँ ?
  3. मेरी भेल्यु क्या है ?
  4. मेरे लिए सही माहोल क्या है?
  5.  मे अपने काम में क्या अच्छा योगदान दे सकता हूँ ?

और इनके सही जवाब ही आपको खुदको मैनेज करना सिखाएगा |

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क्योंकि जब आप सवाल पूछोगे तो उसका जवाब भी ढूँढोगे | जिससे फिर आपके अंदर का conflict दूर होगा |

और फिर आप एक बेहतरीन परफ़ॉर्मर बनेगें और अपने स्किल को निखार पायेंगें |और यही आपको फिर जीवन में आगे बढ़ाएगा, कामयाब बनाएगा | 

आशा है आपको Managing Oneself Book Summary in Hindi से खुदको मैनेज करने का तरीका मिला होगा और आप इसे अपने जीवन में जरुर उतारना चाहेंगे |

पूरी आर्टिकल पढने के लिए धन्यबाद |book में दिये गएँ बातों को और अच्छे से समझने के लिए इस book को जरुर ख़रीदे, link निचे दी गयी है |

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